भक्ति का अर्थ “निर्बल-दुर्बल” हो जाना तो बिल्कुल नहीं है ..!! | श्रीमद्भागवत - तृतीय स्कन्ध | 22
श्री हित आश्रम, वृन्दावन में "श्रीहित अम्बरीष जी" द्वारा ...
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